Friday, April 26, 2019

जब दो बूढ़े जवान होते हैं।


जब दो बूढे़ जवान होते हैं। जब वो कपकपाते हाथ एक-दूसरे के करीब आते हैं, जब दो साथी खोयी राह के खोज में निकलते हैं, जिंदगी का असली मजा जब वो थकी हुई आँखे महसूस करती हैं, जब दो बूढ़े जवान होते हैं ... मंजिल उनकी एक-दूजे में खोयी है ,
तकलीफ -दर्द, दवा-दारू, दुआओंसे उन्हे नफरत सी होती है, जब मुहब्बत के राह में दो बूढे़ दम तोड़ देते हैं, जब दो बूढ़े जवान होते हैं ... कही सुकुनभरी जिंदगी है, कहीं कांटोंके है बिस्तर बिछाये हुए,इश्क की कोई उम्र नहीं होती, ये तो फिर भी आधे कब्र में फंसे हुए हैं ... फुलोंका बागीचा ना सही, दो मीठी यादें साथ है, कुछ इनसे कुछ उनसे सीखी गयी हर बातें याद है, बच्चों के घर बसाए, अपना सुख चैन छुपाए,  बैठी है नदी किनारे उनकी नाव, बीते पल को भुलाए,
याद आते हैं वो शायर गालिब, सुनाते हैं गुलजार वो गीत,
जब ७० साल के वो दोनो आंखोंमे इशारे करते हैं, तब वो बूढ़े जवान होते हैं।

वेद 🍁

जब दो बूढ़े जवान होते हैं।

 जब दो बूढे़ जवान होते हैं। जब वो कपकपाते हाथ एक-दूसरे के करीब आते हैं, जब दो साथी खोयी राह के खोज में निकलते हैं, जिंदगी का असली मजा जब व...