शाम भी नशेमे झुम उठी, मदहोश हो गया था वो मौसम,
फना हुए थे कई चेहरे, तो थम रही थी कही धड़कनें ।
जिक्र उसका कुछ इस कदर हुआ, मुस्कुराहट थी होठोंपे
और आसु थे निगाहोंमे।
साथ उसका, चाह उसकी कहीं खीच रही थीं बनकर डोर अनदेखी। राह में खड़े होकर सहेज रहे थे उसकेही सपने,
दिल में धडकन थी या उसके नाम की गुंज, जुबां पर लफ्ज़ थे या फिर उसकी तारीफ, खताए कर राहा था
या हो गया था कुछ हासिल, केहर मचा था हर दुसरे रुप से उसके, या छा गये थे खुशी के बादल, बस एक तिरछी नजरसे। फरिश्तोंने हाथोंसे बनायी थी उसकी मुरत, या दील की छन्नी से तराशी गयी थी उसकी सीरत।
फूलों की खुशबूभी फीकी गीरे ऐसी मखमली काया उसकी, वो देखे एक नजर तो पल मे रूख जाये दुनिया मेरी।
फना हुए थे कई चेहरे, तो थम रही थी कही धड़कनें ।
जिक्र उसका कुछ इस कदर हुआ, मुस्कुराहट थी होठोंपे
और आसु थे निगाहोंमे।
साथ उसका, चाह उसकी कहीं खीच रही थीं बनकर डोर अनदेखी। राह में खड़े होकर सहेज रहे थे उसकेही सपने,
दिल में धडकन थी या उसके नाम की गुंज, जुबां पर लफ्ज़ थे या फिर उसकी तारीफ, खताए कर राहा था
या हो गया था कुछ हासिल, केहर मचा था हर दुसरे रुप से उसके, या छा गये थे खुशी के बादल, बस एक तिरछी नजरसे। फरिश्तोंने हाथोंसे बनायी थी उसकी मुरत, या दील की छन्नी से तराशी गयी थी उसकी सीरत।
फूलों की खुशबूभी फीकी गीरे ऐसी मखमली काया उसकी, वो देखे एक नजर तो पल मे रूख जाये दुनिया मेरी।
वेद 🍁
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