Tuesday, May 22, 2018

खरीखोटी


समन्दर के लेहरोमें फंसी थी एक नाव, मांझी जिसका सखा था उसीने दिया था ये घाव, मजधारेमे धकेला था, नाव का संतुलन बिगाड़ा था, ना सोचा कभी उस दोस्त के लिए, ना जाने उसका हाल क्या हुआ था...
तेज लेहरे और आंधी ने मांझी को था घेरा, फिर सोचा की शायद है शनि का डेरा, तगमग तगमग डोली थी नाव छुटती जा रही थी डोर से नाव, नाम उसने माँ का लिया, तूफान फिर क्रोधित हो बोला, तुम्हारी सजा यही है के तुम डूब जाओ, अक्ल नहीं थी तुममें जो गद्दार को दोस्त समझा...
मांझी बोला जनाब हमने दोस्ती दिल देकर निभाई और उसने  दिमागसे दुश्मनी निभाई...
वेद 

जब दो बूढ़े जवान होते हैं।

 जब दो बूढे़ जवान होते हैं। जब वो कपकपाते हाथ एक-दूसरे के करीब आते हैं, जब दो साथी खोयी राह के खोज में निकलते हैं, जिंदगी का असली मजा जब व...