Friday, April 26, 2019

जब दो बूढ़े जवान होते हैं।


जब दो बूढे़ जवान होते हैं। जब वो कपकपाते हाथ एक-दूसरे के करीब आते हैं, जब दो साथी खोयी राह के खोज में निकलते हैं, जिंदगी का असली मजा जब वो थकी हुई आँखे महसूस करती हैं, जब दो बूढ़े जवान होते हैं ... मंजिल उनकी एक-दूजे में खोयी है ,
तकलीफ -दर्द, दवा-दारू, दुआओंसे उन्हे नफरत सी होती है, जब मुहब्बत के राह में दो बूढे़ दम तोड़ देते हैं, जब दो बूढ़े जवान होते हैं ... कही सुकुनभरी जिंदगी है, कहीं कांटोंके है बिस्तर बिछाये हुए,इश्क की कोई उम्र नहीं होती, ये तो फिर भी आधे कब्र में फंसे हुए हैं ... फुलोंका बागीचा ना सही, दो मीठी यादें साथ है, कुछ इनसे कुछ उनसे सीखी गयी हर बातें याद है, बच्चों के घर बसाए, अपना सुख चैन छुपाए,  बैठी है नदी किनारे उनकी नाव, बीते पल को भुलाए,
याद आते हैं वो शायर गालिब, सुनाते हैं गुलजार वो गीत,
जब ७० साल के वो दोनो आंखोंमे इशारे करते हैं, तब वो बूढ़े जवान होते हैं।

वेद 🍁

Tuesday, May 22, 2018

खरीखोटी


समन्दर के लेहरोमें फंसी थी एक नाव, मांझी जिसका सखा था उसीने दिया था ये घाव, मजधारेमे धकेला था, नाव का संतुलन बिगाड़ा था, ना सोचा कभी उस दोस्त के लिए, ना जाने उसका हाल क्या हुआ था...
तेज लेहरे और आंधी ने मांझी को था घेरा, फिर सोचा की शायद है शनि का डेरा, तगमग तगमग डोली थी नाव छुटती जा रही थी डोर से नाव, नाम उसने माँ का लिया, तूफान फिर क्रोधित हो बोला, तुम्हारी सजा यही है के तुम डूब जाओ, अक्ल नहीं थी तुममें जो गद्दार को दोस्त समझा...
मांझी बोला जनाब हमने दोस्ती दिल देकर निभाई और उसने  दिमागसे दुश्मनी निभाई...
वेद 

Tuesday, April 24, 2018

आवारा दुनिया

कोई चोर केहेता है तो कोई लुटेरा केहेता है, किसीको क्या खबर, वो जमाना चीछोरा भी हो सकता है। छुटता चला जाता है आदमी, और तुम गढ्ढा खोद रहे हो,
जिंदगी कदम नाप रही है कब्र के लिए, कीसीको क्या खबर शायद वहां तुम्हारी बात चल रही हो।
शतरंज के खेल में होते हैं ६४ घर, और तुम एक वझिर लिए बैठे हो...
तुमने मारा हो चाहे वझिर मेरा
मगर मेरे मदमस्त हाथी और घोडेने तुम्हारे राजा को है घेरा, किसीको क्या खबर, वो कही तुम तो नहीं।
अंजाम, नतीजा खेल का कुछ भी हो सकता है, आज यहाँ जीता है तो कल वहापर हारा है, किसीको क्या खबर, शायद खेल भी बड़ा प्यारा है। अक्षरोंका मायाजाल है, या है दुनिया की खुदगर्जी, किसीको क्या खबर, साला बदनाम करने का बहाना भी हो सकता है।

वेद 🍁

Thursday, February 8, 2018

कामचोर

कैसे हो तुम दिल हमारे करते नहीं कुछ काम, दिमाग की क्यों सुनते नहीं कर भी लो कुछ काम। बोल बोल कर थक गया भेजा समझाये तुम्हें अब कैसे, छोडी तरफदारी तेरी, तुम तो हो कामचोर साले... केहता है दिमाग आयीं है परीक्षा की घड़ी, लेकिन तुम्हें कीस बात की है पडी, अपनीही धुन में तुम गाते हो, गीत वो बेफिक्री के दिमाग को सुनाते हो, शरीर भी तुमसे झगड़ने लगा था, तुम्हारी बेपरवाहीयां देख वो भी रो पड़ा था। तुरंत दिमागने आदेश दिया... पेश करो दिल को मेरे आगे वो नादान आया अपनीही मस्तीमें, दिमाग बोला तुम्हें हम काबू में रखेंगे, जंजीरों में जकड़ लेंगे... दिल बोला :-जनाब आप करलो चाहे सितम हजार, खत्म ना होगा ये कामचोर मिजाझ, बांधना हो गर मुठ्ठी में मुझे तो मेहकाओ खुशी के पल चार, तब कर जाऊंगा हर काम।

Tuesday, December 5, 2017

प्यारे दुश्मन।

खुदगर्जी के पाठ कोई तो सीखांदो रकीबों, हमने तो हमेशा ही अपने हाथ खोल कर रखे हैं। यकीन मानिए आपकी कसम, हर बार आपका गुरुर तोडने की चाहत...
हम दिल में दबाये हुए हैं।
वेद 🍁 

Thursday, November 9, 2017

अंदाज-ए-ईश्क

   केहेना था जो केह दिया अब कोई खलिश नहीं दील में बाकी, मन को ठेस पहुंचाना , गम में डुब जाना, ये चीजें मेरे फितरत में नहीं आती।
 खूबसूरती की कदर करना अच्छेसे आता है हमे, औरोंके फैसलों की इज्जत करना खुब आता है हमे, बेवजह कीसीपर हक जताना मेरी आदत नहीं, कोई आना चाहे तो आये,  इस जिंदगी में कोई रंजीश नहीं. . .
खुबसूरत था वो मौसम, जहां एक छाता दो दिलों को बारीश में सुलगा राहा था, जहां एक कॉफी ☕ दोनों के बीच दोस्ती बढ़ा रही थी, जहां फीजाए वादियों में गीत गुनगुना रही थी, जहां उचाईयोपर लहराता आंचल होश छीन राहा था, जहां हर एक नगमा मन कहे गीत गाए जा रहा था। मैं वहीं जीता , हा मै वहीं जीता ।

वेद 🍁 

Friday, November 3, 2017

लफ्ज कुछ दिल से।

फरियाद ना किसीने लिखी है , ना ही तमंचा कसा है किसी पे, फिक्र नहीं है खुद की और ना ही थी रकीबोंकी, रुक्सत किया है फिजाओं में सभी को , ना ही दिदार की तलाश है और कोई तमन्ना इन आँखोंकी...

वेद 🍁 

जब दो बूढ़े जवान होते हैं।

 जब दो बूढे़ जवान होते हैं। जब वो कपकपाते हाथ एक-दूसरे के करीब आते हैं, जब दो साथी खोयी राह के खोज में निकलते हैं, जिंदगी का असली मजा जब व...